बलात्कारी राम रहीम को बार-बार पैरोल पर हाई कोर्ट नाराज

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह को बिना पूर्व अनुमति के पैरोल नहीं दी जा सकती है. डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- डेरा सच्चा सौदे के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार से कहा कि वह उसकी इजाजत के बिना राम रहीम की पैरोल पर विचार न करे. पैरोल दिए जाने को चुनौती हाई कोर्ट ने बलात्कार के दोषी और 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने पर सवाल उठाए हैं. राम रहीम को इसी साल जनवरी में 50 दिन की पैरोल दी गई थी. यह लगभग 10 महीने में उसकी सातवीं और पिछले चार वर्षों में नौवीं पैरोल थी. हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को 10 मार्च को राम रहीम का सरेंडर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जिस दिन उसकी पैरोल समाप्त होने वाली है और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह अगली बार राम रहीम को पैरोल देने के लिए अदालत से अनुमति का अनुरोध करे. दरअसल यह आदेश शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जारी किया है. एसजीपीसी ने राम रहीम को पैरोल दिए जाने के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश देते हुए यह भी पूछा कि राम रहीम की तरह और कितने लोगों को पैरोल दी गई है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधुवालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बेंच ने कहा कि राम रहीम को 2022 और 2023 में प्रत्येक में 91 दिनों के लिए रिहा किया गया था. यह तीन मामलों में दोषी ठहराए गए राम रहीम की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए दिलचस्प रीडिंग है. राम रहीम को कब मिली पैरोल हाल ही में राम रहीम को 50 दिन की पैरोल दी गई थी. 21 जनवरी 2023 को उसे 40 दिन की पैरोल दी गई. इसके बाद 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की राहत दे दी गई. साल के आखिर में यानी नवंबर में भी उसे 29 की छुट्टी दी गई थी. बेंच ने राम रहीम को पैरोल दिए जाने को लेकर कहा, ऐसे आपराधिक इतिहास वाले और तीन मामलों में सजा पाए व्यक्ति को लाभ देने पर सरकार एक हलफनामा पेश करे. सुनवाई के दौरान बेंच ने राम रहीम को बार-बार पैरोल देने पर सवाल खड़े किए. बेंच ने पूछा कि इस प्रकार राम रहीम को बार-बार पैरोल देना विशेष सुविधा तो नहीं है. काफी संख्या में लोग जेलों में हैं, जो पैरोल या फरलो का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दलील दी कि नियमों के तहत पैरोल दी जा रही है. हाई कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि उसके पास कितने कैदियों को पैरोल की अर्जियां आई हैं और उनमें से कितनों को पैरोल या फरलो दी गई है. राम रहीम पर मेहरबान सरकार? राम रहीम को अगस्त 2017 में उसके आश्रम की ही दो महिला अनुयायियों का बलात्कार करने का दोषी पाया गया था और 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. उसके बाद अक्टूबर 2021 में उसे आश्रम के ही एक पूर्व कर्मचारी की हत्या में शामिल होने का भी दोषी पाया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. हरियाणा सरकार उसे साल 2020, 2021 और 2022 में भी पैरोल के तहत राहत दे चुकी है. पैरोल और फरलो जैसे नियमों के तहत कैदों को सीमित अवधि के लिए कुछ शर्तों के साथ जेल से रिहा करने का अधिकार राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है. राम रहीम के मामले में हरियाणा सरकार हर बार कहती आई है कि पैरोल कैदी का अधिकार होता है. भारत में पैरोल नियमों के तहत कैदियों को समय समय पर रिहा किया जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में देश में कुल मिलाकर 28,763 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था. इनमें 860 कैदी पैरोल का फायदा उठा कर भाग गए थे, लेकिंन उनमें से 523 को फिर से पकड़ लिया गया था. बाकी कैदियों का हाल जहां पैरोल पाने वाले कैदियों की संख्या 28,763 है, वहीं देश की सैकड़ों जेलों में चार लाख से भी ज्यादा ऐसे कैदी बंद हैं जिन पर लगाए गए आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं और उनके मामलों पर अभी तक सुनवाई चल रही है. 2021 में विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या 4,27,165 थी. 2020 के मुकाबले ऐसे कैदियों की संख्या करीब 14 प्रतिशत बढ़ गई थी. इनमें से करीब तीन लाख कैदी एक साल तक की अवधि जेल में काट चुके हैं. करीब 56,000 कैदी एक से ले कर दो साल से, करीब 32,000 दो से तीन साल और करीब 24,000 तीन से ले कर पांच साल से जेल में बंद हैं. इनके अलावा करीब 11,500 कैदी ऐसे भी हैं जो पांच साल से जेल में बंद हैं और अभी तक उनके मामलों पर सुनवाई ही चल रही है. इनमें से दो लाख से ज्यादा कैदी जिला जेलों में, करीब डेढ़ लाख केंद्रीय जेलों में और करीब 44,000 उप जेलों में थे. ऐसे अंडरट्रायल कैदियों में 1,418 महिलाएं भी हैं, जिनके साथ करीब 1,600 बच्चे भी जेलों में ही हैं.(dw.com)

बलात्कारी राम रहीम को बार-बार पैरोल पर हाई कोर्ट नाराज
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह को बिना पूर्व अनुमति के पैरोल नहीं दी जा सकती है. डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- डेरा सच्चा सौदे के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार से कहा कि वह उसकी इजाजत के बिना राम रहीम की पैरोल पर विचार न करे. पैरोल दिए जाने को चुनौती हाई कोर्ट ने बलात्कार के दोषी और 20 साल जेल की सजा काट रहे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने पर सवाल उठाए हैं. राम रहीम को इसी साल जनवरी में 50 दिन की पैरोल दी गई थी. यह लगभग 10 महीने में उसकी सातवीं और पिछले चार वर्षों में नौवीं पैरोल थी. हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को 10 मार्च को राम रहीम का सरेंडर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जिस दिन उसकी पैरोल समाप्त होने वाली है और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह अगली बार राम रहीम को पैरोल देने के लिए अदालत से अनुमति का अनुरोध करे. दरअसल यह आदेश शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जारी किया है. एसजीपीसी ने राम रहीम को पैरोल दिए जाने के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश देते हुए यह भी पूछा कि राम रहीम की तरह और कितने लोगों को पैरोल दी गई है. कार्यवाहक चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधुवालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बेंच ने कहा कि राम रहीम को 2022 और 2023 में प्रत्येक में 91 दिनों के लिए रिहा किया गया था. यह तीन मामलों में दोषी ठहराए गए राम रहीम की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए दिलचस्प रीडिंग है. राम रहीम को कब मिली पैरोल हाल ही में राम रहीम को 50 दिन की पैरोल दी गई थी. 21 जनवरी 2023 को उसे 40 दिन की पैरोल दी गई. इसके बाद 20 जुलाई 2023 को 30 दिन की राहत दे दी गई. साल के आखिर में यानी नवंबर में भी उसे 29 की छुट्टी दी गई थी. बेंच ने राम रहीम को पैरोल दिए जाने को लेकर कहा, ऐसे आपराधिक इतिहास वाले और तीन मामलों में सजा पाए व्यक्ति को लाभ देने पर सरकार एक हलफनामा पेश करे. सुनवाई के दौरान बेंच ने राम रहीम को बार-बार पैरोल देने पर सवाल खड़े किए. बेंच ने पूछा कि इस प्रकार राम रहीम को बार-बार पैरोल देना विशेष सुविधा तो नहीं है. काफी संख्या में लोग जेलों में हैं, जो पैरोल या फरलो का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा रहा है. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दलील दी कि नियमों के तहत पैरोल दी जा रही है. हाई कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि उसके पास कितने कैदियों को पैरोल की अर्जियां आई हैं और उनमें से कितनों को पैरोल या फरलो दी गई है. राम रहीम पर मेहरबान सरकार? राम रहीम को अगस्त 2017 में उसके आश्रम की ही दो महिला अनुयायियों का बलात्कार करने का दोषी पाया गया था और 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. उसके बाद अक्टूबर 2021 में उसे आश्रम के ही एक पूर्व कर्मचारी की हत्या में शामिल होने का भी दोषी पाया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. हरियाणा सरकार उसे साल 2020, 2021 और 2022 में भी पैरोल के तहत राहत दे चुकी है. पैरोल और फरलो जैसे नियमों के तहत कैदों को सीमित अवधि के लिए कुछ शर्तों के साथ जेल से रिहा करने का अधिकार राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है. राम रहीम के मामले में हरियाणा सरकार हर बार कहती आई है कि पैरोल कैदी का अधिकार होता है. भारत में पैरोल नियमों के तहत कैदियों को समय समय पर रिहा किया जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में देश में कुल मिलाकर 28,763 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था. इनमें 860 कैदी पैरोल का फायदा उठा कर भाग गए थे, लेकिंन उनमें से 523 को फिर से पकड़ लिया गया था. बाकी कैदियों का हाल जहां पैरोल पाने वाले कैदियों की संख्या 28,763 है, वहीं देश की सैकड़ों जेलों में चार लाख से भी ज्यादा ऐसे कैदी बंद हैं जिन पर लगाए गए आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं और उनके मामलों पर अभी तक सुनवाई चल रही है. 2021 में विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या 4,27,165 थी. 2020 के मुकाबले ऐसे कैदियों की संख्या करीब 14 प्रतिशत बढ़ गई थी. इनमें से करीब तीन लाख कैदी एक साल तक की अवधि जेल में काट चुके हैं. करीब 56,000 कैदी एक से ले कर दो साल से, करीब 32,000 दो से तीन साल और करीब 24,000 तीन से ले कर पांच साल से जेल में बंद हैं. इनके अलावा करीब 11,500 कैदी ऐसे भी हैं जो पांच साल से जेल में बंद हैं और अभी तक उनके मामलों पर सुनवाई ही चल रही है. इनमें से दो लाख से ज्यादा कैदी जिला जेलों में, करीब डेढ़ लाख केंद्रीय जेलों में और करीब 44,000 उप जेलों में थे. ऐसे अंडरट्रायल कैदियों में 1,418 महिलाएं भी हैं, जिनके साथ करीब 1,600 बच्चे भी जेलों में ही हैं.(dw.com)